USA Hindu Temple: अमेरिका के न्यू जर्सी में एक मंदिर का उद्घाटन होना है। यह भारत के बाहर आधुनिक समय का दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। मंदिर 185 एकड़ में फैला है। भगवान स्वामीनारायण को यह मंदिर समर्पित है। मंदिर का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था, जो अब जाकर पूरा हुआ है।
हाइलाइट्स
अमेरिका में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर बना है।
यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है।
8 अक्टूबर, 2023 को इस मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा।
वॉशिंगटन: भारत से हजारों किमी की दूरी पर न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले में अमेरिका का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम है। यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है। उनके 5वें आध्यात्मिक उत्तराधिकारी और प्रसिद्ध संत प्रमुख स्वामी महाराज से प्रेरित है। उन्होंने लाखों लोगों के जीवन को बदला। लोगों को वासना क्रोध, लालच और ईर्ष्या से दूर किया। इस ग्रैंड टेंपल का निर्माण 2015 में शुरू हुआ। इसका उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को महंत स्वामी महाराज और अन्य लोगों की ओर से किया जाएगा।
यज्ञेश पटेल ने कहा, ‘यहां इतिहास को तराशा जा रहा है। मंदिर को सभी आगंतुकों के लिए खोलने से वे भारतीय कला और संस्कृति सीखेंगे। अमेरिका के लिए भी यह गर्व का पल है। जब मैं अपने पड़ोसी को यहां लेकर आया तो वह भारतीय संस्कृति, कला और विशेष रूप से हिंदू धर्म को जानने के लिए उत्सुक थे।’ यह मंदिर रॉबिंसविले में 185 एकड़ में फैला हुआ है। उत्तरी अमेरिका के सभी कोनों से 12,500 स्वयंसेवक एक साथ आए और इस मंदिर का निर्माण किया, जो हजारों वर्षों तक बना रहेगा।
भारत में तराशे गए पत्थर
इस मंदिर का डिजाइन भारत में ही किया गया था। यूरोप के कई हिस्सों से पत्थर निकाले गए और फिर भारत भेजा गया, जहां इसे तराशा गया। फिर इसे अमेरिका भेज दिया गया। जैसे-जैसे मंदिर पूरा होने की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। न्यू जर्सी की सारिका पटेल एक स्वयंसेवक हैं। उन्होंने कहा कि वह मानती हैं कि मंदिर यहां आने वाले सभी लोगों को सांत्वना और शांति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह मानवता की सेवा का संदेश फैलाता है।
क्या है खासियत
यह मंदिर भारत के बाहर आधुनिक समय में बना दूसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। इस मंदिर को बनाने में चार तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें लाइम स्टोन, पिंक सैंडस्टोन, मार्बल, ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ है। लाइमस्टोन को बुल्गारिया और तुर्की, मार्बल को ग्रीस और इटली, ग्रेनाइट को भारत और चीन से लाया गया। सैंडस्टोन भी भारत से लाया गया। मंदिर परिसर में एक ब्रह्मकुड भी है, जिसमें भारत की पवित्र नदियों और अमेरिका की नदियों का पानी है।