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Nargis Mohammadi: Promoting Peace and Breaking Barriers
दुनिया

Nobel Peace Prize 2023: नरगिस मोहम्मदी की प्रेरक यात्रा: नोबेल शांति पुरस्कार विजेता

हाइलाइट्स

नॉर्वेजियन नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने शुक्रवार को ओस्लो में पुरस्कार की घोषणा की।
नोबेल पुरस्कार में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1 मिलियन डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
नरगिस मोहम्मदी की ईरान की सबसे खतरनाक जेल में बीत रही जिंदगी।
Nargis Mohammadi: Promoting Peace and Breaking Barriers
Nargis Mohammadi: Promoting Peace and Breaking Barriers

इस वर्ष ईरान की मानव अधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को साल 2023 के लिए शांति का नोबेल पुरुस्कार दिया गया।
नरगिसी ईरानी महिलाओं के लिए ईरान की सरकार से ज़ोरदार लड़ाई लड़ रही है और इस समय भी नरगिस मोहम्मदी जेल में है ।
उन्होंने अब तक 31 साल जेल में बिताए हैं। बता दें कि उन्हें कोड़े भी मारे गए। नरगिस मोहम्मदी ने ईरान में मानव अधिकारों को बढ़ावा दिया और सभी के लिए स्वतंत्रता का समर्थन भी।

बता दें कि पुरस्कार देते हुए नोबेल कमेटी ने कहाकि नरगिस को इसके लिए बड़ी निजी कीमत चुकानी पड़ी। मानव अधिकारों को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता के समर्थन की ज़िद में उन्हें 13 बार जेल जाना पड़ा और इतना ही नहीं, 5 बार वे दोषी भी ठहराई जा चुकी हैं। कुल मिलाकर नरगिस मोहम्मदी ने 31 साल जेल में बिताए।

वहां जेल में उन्हें कोड़े भी खाने पड़े। उन्हें कुल 154 कोड़े मारे गए। बड़ा दिलचस्प वाक्य रहा नोबेल पुरस्कार देते हुए अपने कामों के लिए अपनी महत्वपूर्ण योगदान जिसमें स्वतंत्रता और मानव अधिकार सबसे ऊपर था दूसरे नागरिकों के हित अधिकार की बात करने वाली नरगिस मोहम्मदी को जब वर्ष 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया तो उस समय में भी जेल में ही थीं।

जानकारी के लिए बता दें कि ईरान में सितम्बर 2022 में एक युवा कुर्दिश महिला, महसा जीना अमीना की ईरान के पुलिस की हिरासत के दौरान मौत हो गई थी। इसके बाद उनकी मौत के बाद पूरे ईरान में ज़ोरदार विरोध शुरू हो गया। लोगों ने ईरान की सरकार के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया उन्होंने महिलाओं को स्वतंत्रता देने की मांग की। इस प्रदर्शन में लाखों की तादाद में ईरानी लोगों ने हिस्सा लिया था।

बता दें कि नरगिस मोहम्मदी पर ईरानी पुलिस ने ईरान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने का भी आरोप लगाया है। ईरानी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर अत्याचार किया और 5 सौ से ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए। इसके अलावा हज़ारों की तादाद में लोग घायल हो गए। क्रूरता का आलम यह रहा कि कई लोगों की आंख रबर की बुलेट लगने से खराब हो गई। ईरानी पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई, यही नहीं प्रदर्शन को कुचलने के लिए अब तक 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।

इस पूरे प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं की आज़ादी का समर्थन किया और नरगिस मोहम्मदी के अभियान को पूरा समर्थन दिया।

नरगिस मोहम्मदी Defander of Human Right Centre के उप प्रमुख हैं। यह एक गैरसरकारी संगठन है, जिसे शीरीन आबादी ने बनाया था। शीरीन को भी साल 2003 में नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।

नरगिस लगातार महिलाओं के दमन और उनके साथ होने वाली संस्थागत भेदभाव के लिए आवाज़ उठाती रहीं हैं। साल 1990 के दशक में नरगिस भौतिक विज्ञान की छात्रा थी और इसी दौरान उन्होंने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया था।

बहरहाल अपने आप में बड़ा दिलचस्प रहा यह पल जब जेल में रहते हुए ही नरगिस को नोबेल शांति के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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