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Remembering Lal Bahadur Shastri
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Lal Bahadur Shastri: स्वतंत्रता सेनानी से प्रधान मंत्री तक – लाल बहादुर शास्त्री की यात्रा

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023

Lal Bahadur Shastri Birth Anniversary: भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री से प्रेरणादायक जीवन सबक।
Remembering Lal Bahadur Shastri: भारत के भूले हुए प्रधान मंत्री।
Celebrating the Dual Birthdays: महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री।
Remembering Lal Bahadur Shastri
लाल बहादुर शास्त्री: स्वतंत्र भारत के एक दूरदर्शी नेता

आज यानि कि दो अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्मदिन है। आप और हमें सबको पता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज महात्मा गांधी ही नहीं बल्कि भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिन है।

जी हां महात्मा गांधी जी के बारे में तो आपने खूब पढ़ा होगा और उनका जन्मदिन भी आपको याद रहता होगा। लेकिन शायद ही बहुत कम लोग जानते हैं कि आज ही के दिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्म हुआ था।

जी हां सोलह साल की उम्र से हिंदुस्तान की आजादी के संग्राम में कूदने वाले शास्त्री जी जब आजाद हिंदुस्तान में दूसरे प्रधानमंत्री बने आज हम आपको उनके जीवन की कुछ रोचक बातें बताएँगे जो आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।

आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन भी दो अक्टूबर को ही मनाया जाता है। लाल बहादुर शास्त्री का जीवन हर नौजवान के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। कैसे कम सुविधाओं के बीच पढ़ाई पूरी करना और देश के प्रधानमंत्री बनना ये कोई मामूली बात नहीं थी। शास्त्री जी ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया था।

शास्त्री जी का जन्म दो अक्टूबर उन्नीस सौ चार उत्तर प्रदेश के सराय में हुआ था। दो अक्टूबर उन्नीस सौ चार को जन्मे शास्त्री जी जब आठ महीने के थे तभी उनके पिता शारदा प्रसाद का निधन हो गया। इसके बाद इनकी माँ रामदुलारी देवी ने इनका पालन पोषण किया। सोलह साल की उम्र में ही सन उन्नीस सौ बीस में शास्त्री जी आजादी की लडाई में कूद पड़े। शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा भी दिया।

लालबहादुर शास्त्री अपने परिवार में सबसे छोटे थे इस कारण उन्हें सभी प्यार से नन्हे बुलाते थे। मात्र अठारह महीने के जब लाल बहादुर शास्त्री हुए तो उनके पिता का निधन हो गया। ननिहाल पक्ष के सहयोग से उनकी परवरिश हुई और उन्हें माँ का बहुत सहयोग मिला। यहीं उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की और इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने हरीशचंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में की। लाल बहादुर शास्त्री अपने चाचा के यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए गए हुए थे। बता दे कि लालबहादुर शास्त्री नंगे पांव कई मील की दूरी पर स्थित स्कूल जाया करते थे। उस भीषण गर्मी में सड़कें तक गर्मी से पिघल जाया करती थी। लेकिन शास्त्री जी का पढ़ाई के प्रति जुनून कम नहीं हुआ।

बता दें कि काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने अपने नाम से जाति सूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिए हटा लिया और नाम के आगे शास्त्री लगा लिया। लाल बहादुर शास्त्री जी महात्मा गांधी को अपना गुरु मानते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि मेहनत प्रार्थना करने के समान है। शास्त्री जी महात्मा गांधी के समान ही विचार रखते थे। वो बापू की सोच से बेहद प्रभावित थे।

हिंदुस्तान में लाल बहादुर शास्त्री की वजह से ही सफेद और हरित क्रांति आई। शास्त्री जी हरित आंदोलन से पूरी तरह से जुडे थे। उन्होंने अपने आवास के लोन में भी खेती शुरू कर दी। उन्हें जितना जवान पसंद थे उतने ही किसान भी पसंद थे। इसी कारण उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। उन्नीस सौ चौंसठ में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने तो उनके अगले ही साल उन्नीस सौ पैंसठ में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो गया। देश में भयंकर सुखा भी पड़ा। वित्तीय संकट को टालने के लिए उन्होंने देशवासियों से एक दिन के उपवास की अपील की। वो शास्त्री जी की छवि ऐसी थी कि पूरे देश ने उनके इस फैसले का मान भी रखा। इसी मौके पर देश की कृषि आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए लालबहादुर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था।

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