
Delhi Pollution: भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अक्सर सुरक्षित स्तर से अधिक हो जाता है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। नवंबर का महीना अभी शुरू नहीं हुआ, लेकिन मौसम में बदलाव के साथ ही नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा दिन-प्रति-दिन प्रदूषित होती जा रही है। यहां AQI यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक रेड जोन में पहुंच गया है।
23 अक्टूबर को ग्रेटर नोएडा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा, जबकि दिल्ली दूसरे नंबर पर रहा।
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की रिसर्च के मुताबिक:
भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित देश है।
भारत की राजधानी दिल्ली देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में सबसे ऊपर है।
प्रदूषण मुक्त शहर की तुलना में दिल्ली के निवासियों का जीवन लगभग 11.9 वर्ष कम।
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से दिल्ली के निवासियों का जीवन लगभग 11.9 वर्ष कम हो जाता है। इसका मतलब यह है कि दिल्ली में औसत व्यक्ति यदि स्वच्छ हवा वाले शहर में रहता है तो उसकी तुलना में 11.9 साल पहले मर जाता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण और निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल हैं। ये प्रदूषक श्वसन संक्रमण, हृदय रोग और कैंसर सहित विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। बच्चे और बुजुर्ग वायु प्रदूषण के प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं। लेंसेट की एक स्टडी के मुताबिक दुनिया भर के 16% लोगों की मौत प्रदूषण के चलते समय से पहले ही हो जाती है।
प्रदूषण के कारण दिल्लीवासियों की घटती उम्र गंभीर चिंता का विषय है। शहर के निवासियों के स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा के लिए वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कदम उठाना महत्वपूर्ण है।
ऐसे कई कारक हैं जो दिल्ली की वायु प्रदूषण समस्या में योगदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
वाहन उत्सर्जन: दिल्ली में वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत वाहन हैं। शहर में वाहनों की बड़ी और बढ़ती संख्या है, और उनमें से कई पुराने और खराब रखरखाव वाले हैं।
औद्योगिक प्रदूषण: दिल्ली एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है, और कई कारखाने और अन्य औद्योगिक सुविधाएं हवा में प्रदूषक छोड़ती हैं।
निर्माण स्थलों से धूल: दिल्ली एक तेजी से बढ़ता हुआ शहर है, और यहाँ बहुत सारी निर्माण गतिविधियाँ चल रही हैं। इस निर्माण गतिविधि से बहुत अधिक धूल उत्पन्न होती है, जो वायु प्रदूषण में योगदान करती है।
पराली जलाना: पड़ोसी राज्यों में किसान अक्सर अपनी फसलों की कटाई के बाद बचे अवशेषों को जला देते हैं। यह धुआं दिल्ली तक जा सकता है और शहर की वायु गुणवत्ता खराब कर सकता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का शहर के निवासियों पर कई नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव पड़ते हैं। इन प्रभावों में शामिल हैं:
श्वसन संबंधी समस्याएं: वायु प्रदूषण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के कैंसर सहित विभिन्न प्रकार की श्वसन समस्याओं का कारण बन सकता है।
हृदय रोग: वायु प्रदूषण से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है।
कैंसर: वायु प्रदूषण को कई प्रकार के कैंसर से जोड़ा गया है, जिनमें फेफड़े का कैंसर, मूत्राशय का कैंसर और ल्यूकेमिया शामिल हैं।
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं: वायु प्रदूषण अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकता है, जैसे सिरदर्द, थकान और त्वचा संबंधी समस्याएं।
दिल्ली सरकार ने शहर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध
सार्वजनिक परिवहन में निवेश
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना
पेड़ लगाना
उद्योगों के लिए सख्त उत्सर्जन मानक लागू करना
हालाँकि, दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। शहर के निवासियों को अपने स्वयं के उत्सर्जन को कम करके और सरकार से समस्या के समाधान के लिए और अधिक आक्रामक कार्रवाई करने की मांग करके अपना योगदान देने की आवश्यकता है।
यहां कुछ चीजें हैं जो व्यक्ति दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कर सकते हैं:
जब भी संभव हो सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें, पैदल चलें या बाइक चलाएं।
व्यस्ततम यातायात घंटों के दौरान वाहन चलाने से बचें।
अपने वाहन का अच्छे से रखरखाव करें और नियमित रूप से उसका निरीक्षण करवाएं।
कूड़ा-कचरा या पत्तियां जलाने से बचें।
अपने घर के आसपास पेड़ और झाड़ियाँ लगाएँ।
अपने घर और कार्यालय में वायु शोधक का प्रयोग करें।
ये कदम उठाकर हम सभी दिल्ली को एक स्वच्छ और स्वस्थ शहर बनाने में मदद कर सकते हैं।
गौरतलब है कि वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली की समस्या नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। हम सभी को वायु प्रदूषण को कम करने और अपने लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य बनाने में अपना योगदान देने की आवश्यकता है।